विश्वजीत सैनी की कविताएं।
यह ब्लाग मेरी हस्तलिखित कविताऔ के लिए समर्पित है।
गुरुवार, जून 05, 2008
सुप्रभात।
ए दोस्त जग जा अब खत्म हो चुकी रात।
प्रभा की पहली किरन ले कर आयि खुशियों कि सौगत।
कबुल कीजिये हमारी तरफ़ से सुप्रभात।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)