गुरुवार, दिसंबर 31, 2015

देखो यारों ! चला एक और साल।


समाप्ति की ओर चला एक और साल,
365 दिनों का लिख चला एक और इतिहास।
कुछ गलतियों से सिखाकर कुछ खुशियाँ दिला कर ,
बंधाये नयी आशाओं की आस,
देखो यारों ! चला एक और साल।

दे चला मीठी यादें, ताकि रखे हम संजोकर।
कड़वी यादों के लिए बोल चला 'बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेय'।
चलना ही है प्रकृति का नियम, चलना ही जिंदिगी है, रहना तुम सब खुशहाल।
ये कह अवविदा कर चला ये साल। 

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