गुरुवार, जून 05, 2008

सुप्रभात।

ए दोस्त जग जा अब खत्म हो चुकी रात।
प्रभा की पहली किरन ले कर आयि खुशियों कि सौगत।
कबुल कीजिये हमारी तरफ़ से सुप्रभात।