मंगलवार, दिसंबर 31, 2013

मुबारक हो नववर्ष मेरे दोस्त खास और आम को।

साल भर कि यादों को संजोए,
कहे अलविदा 2013 की शाम को।

2014  से नयी उमीदें और आशाओं को लेकर ,
छलकाएं हम जाम को।

तरक्की और ख़ुशहाली मिले, सफलताएँ चूमे कदम,
चमकाएं अपने माता-पिता और देश के नाम को।


लम्बी उम्र और अच्छी सेहत कि कामना करते हुए,
मुबारक हो नववर्ष मेरे दोस्त खास और आम को।

नवबर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं

बदलते है साल तारीखों में,
पर नहीं बदली  दुनिया । 

प्रोयोधिकी निरंतर हो रहा है विकास,
जिससे हुआ ऊँचा हुआ जीवन स्तर।
पर न बदली है हमारी सोच और भी गिरा है चरित्र। 

लिख रहा हूँ मुझे समझ ना  आये ,
पर सुनता हूँ गीत कवि 'प्रदीप' के 
वोह आज भी मैंने सार्थक पाये:

'आज  के इस इंसान को ये क्या हो गया,
 इसका पुराना प्यार कहाँ पर खो गया। '

देता हूँ मुबारकबाद नए साल की ,
ख़ुश रहो आबाद रहो,
यहाँ रहो या फरीदाबाद रहो।

'नववर्षकि हार्दिक शुभकामनाएं।'

मंगलवार, जून 25, 2013

गाँव का अपना घर

इस गर्मी के मौसम में...

याद आता है गाँव का अपना घर
और घर पर वो खुली छत
छत पर लगी होती सोने के लिए खाट
ख़त्म ना वो परिवार के  संग बातें

और कभी जब होते थे अकेले
तारों को देखते कट जाती थी रातें

कभी आ जाता था जब कोई मेहमान
बनते थे उनके लिए खूब पकवान
जमती थी महफिल फिर छत पर
अलग सी रौनक रहती थी घर में

याद आती है वो गर्मियों की छुट्टियों
खूब मस्ती करते थे दोस्तों के संग
दिन में खेलते कैरम और लूडो
शाम होते ही उड़ती थी पतंग

बीत गया बचपन बदल गयी दुनिया
एक अनजान मंजिल की तलाश में
निकले घर से जब  कदम
बढ़ता रहा निरन्तर और पीछे छुटा वो गाँव का अपना घर



बुधवार, मई 08, 2013

परिवर्तन है प्रकृति का नियम

वृक्ष त्यागता पत्ते अपने,
सर्प छोड़ता काया |
परिवर्तन है जरुरत आज की,
परिवर्तन है प्रकृति का नियम |

परिवर्तन की जरुरत है देश को ,
परिवर्तन की जररुत है देशवासियों को |

परिवर्तन चाहिए देश में,
परिवर्तन चाहिए देशवासियों में |

परिवर्तन चाहिए देश की विचारधारा में ,
परिवर्तन चाहिए देशवासियों की विचारधारा में |

परिवर्तन सता का जो बढाये प्रगति के पथ पर ,
परिवर्तन सोच का जो दिलाये मुक्ति अपराध, आतंकवाद, भष्ट्राचार जैसी से समस्याओं से |

परिवर्तन विज्ञान का जो निरन्तर अग्रसर करती रहे प्रयोधीकी मे ,
परिवर्तन सूचना और प्रसार का जो पहुचाएं सूचना जनजन तक |

परिवर्तन की आंधी जिस दिन इस देश में चलेगी,
दुनियां उस दिन हमारी तरक्की को देख देख जलेगी |

 ऐ मेरे दोस्तों चलो परिवर्तन के लिए एक कदम तो बढाओ

बुधवार, मार्च 20, 2013

मेरे देश के किसान की किस्मत फिर से फूट पड़ी


सरसों कनक की फसल खेतों में तैयार खड़ी,
और मौसम ने लगाई ओलों की झड़ी ।
फिर गया पानी सारी मेहनत पर  ,
मेरे देश के किसान की किस्मत फिर से फूट पड़ी   ।

शुक्रवार, जनवरी 11, 2013

जिंदगी का ठेला

जिंदगी ने खेला है खेल सबके साथ मैं नहीं अकेला ,
कभी होती है जीत कभी होती है हार ऐसे ही चलता है जिंदगी  का ठेला ।