विश्वजीत सैनी की कविताएं।
यह ब्लाग मेरी हस्तलिखित कविताऔ के लिए समर्पित है।
बुधवार, मार्च 20, 2013
मेरे देश के किसान की किस्मत फिर से फूट पड़ी
सरसों कनक की फसल खेतों में तैयार खड़ी,
और मौसम ने लगाई ओलों की झड़ी ।
फिर गया पानी सारी मेहनत पर ,
मेरे देश के किसान की किस्मत फिर से फूट पड़ी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें