रविवार, अप्रैल 04, 2010

जिन्दगी है सूनी-सूनी , किसी अनजाने की तलाश में|

जिन्दगी है सूनी-सूनी ,
किसी अनजाने की तलाश में|

एक उम्र गुजार दी हमने
कोई तो आएगा हमारी जिन्दगी,
इसी आश में|

कितने मौसम आये और गए,
लग जाती है आग,
सावन की बरसात में|

कोई तो अपना सा हो
तड़फते रहते हैं,
सारी सारी रात में,

जिन्दगी है सूनी-सूनी ,
किसी अनजाने की तलाश में|