जिन्दगी है सूनी-सूनी ,
किसी अनजाने की तलाश में|
एक उम्र गुजार दी हमने
कोई तो आएगा हमारी जिन्दगी,
इसी आश में|
कितने मौसम आये और गए,
लग जाती है आग,
सावन की बरसात में|
कोई तो अपना सा हो
तड़फते रहते हैं,
सारी सारी रात में,
जिन्दगी है सूनी-सूनी ,
किसी अनजाने की तलाश में|