कहाँ रही वो हरियाली,
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।
कहाँ है वो पेड़ ,
जिस पर डालूं सावन के झूले,
और चढाऊं पींगे आसमान की ओर ।
कहाँ रही वो हरियाली,
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।
याद आते हैं बचपन के वोह दिन ,
जब होती थी खूब हरियाली,
होते थे घने ऊँचे पेड़ ,
और हंसी ख़ुशी मनाते थे तीज ।
अब नहीं बची वो हरियाली,
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।
कहाँ है वो पेड़ ,
जिस पर डालूं सावन के झूले,
और चढाऊं पींगे आसमान की ओर ।
कहाँ रही वो हरियाली,
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।
याद आते हैं बचपन के वोह दिन ,
जब होती थी खूब हरियाली,
होते थे घने ऊँचे पेड़ ,
और हंसी ख़ुशी मनाते थे तीज ।
अब नहीं बची वो हरियाली,
कैसे मनाऊं हरियाली तीज ।