आओ नववर्ष में रखें कदम,
नई आशाओं और ऊमन्गो के संग।
भारतवर्ष को आगे बढाने लिऐ करे हम पर्यत्न,
इसके लिये हम सब लङ जाये हर जंग।
नई आशाओं और ऊमन्गो के संग।
भारतवर्ष को आगे बढाने लिऐ करे हम पर्यत्न,
इसके लिये हम सब लङ जाये हर जंग।
कवि- विश्वजीत 'सिहँ'
आई रे आई होली ,
मस्ती में घूमें लोगों की टोली।
रगों से ये दुनिया रगींन है,
बिन रगं श्याम और श्वेत क्या ज़िदगीं है।
तो भर लो खुशी और प्यार के रगं।
ऐसे रगों इन ऱगों दुनिया भी रह जाए दगं।
हर तरफ़ रगों की मची है बहार,
भुला के सब मनमुटाव गले लग जाओ य़ारों।
लगा के एकदुजे को रगं जोर से बोलो, बुरा न मानना होली है।
कवि- विश्वजीत 'सिहँ'