मिटेगा द्वेष, बनेगा भाईचारा,
होगी हमारी अनोखी शान।
लहराएगा तिरंगा ऊंचे गगन में,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
एक दिन मिट जाएगा इस देश से भष्ट्राचार,
नए उल्लास और नई किरण के निकलने का मिलेगा समाचार।
बच्चो बुढों में और जवानो में आयेगी नई जान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
न होगा कोई गरीब और न होगा अमीर,
ऊँच-नीच के भेदभाव की मिट जाएगी लकीर।
मिलेगा हर हिन्दुस्तानी को रोटी-कपङा और मकान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
जनसख्या वॄद्धि में अंकुश लगेगा,
नई पीढी के लिए नई आशा का सूर्य चमकेगा।
सोने की चिङया बन जाएगा फिर से भारतवर्ष महान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
हिन्दु-मुस्लिम-जैन-सिख-ईसाइ-बोद्ध धर्म,
हमने जान लिया इन धर्मो का एक ही मर्म।
मिटेगा साम्प्रदायिकता का अभिशाप,बढेगा हमारा अभिमान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
समाप्त होगा नक्सलवाद, खत्म होगा आतंकवाद,
आर्यवर्तः झूम उठेगा,होगा फिर आबाद।
नहीं भटकेंगे पथ से नौजवान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
अंग्रेजी को छोङेंगे पिछे हम,
हिन्दी का करेंगे हम वन्दन।
यही संकल्प हमारा होगा, जिससे बढेगी हिन्दी की शान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
हर भारतीय एक-दुजे का होगा अपना,
पूरा होगा हमारा सपना।
होगी हमारी अनोखी दास्तान,
चमकेगा हमारा हिन्दुस्तान।
कवि- विश्वजीत 'सिहँ'