विश्वजीत सैनी की कविताएं।
यह ब्लाग मेरी हस्तलिखित कविताऔ के लिए समर्पित है।
गुरुवार, जुलाई 02, 2009
जब रहते हो तुम हमसे दूर....
जब रहते हो तुम हमसे दूर,
तुमारी जुदाई कर देती है मिलने को मजबूर|
हम तुमसे मिल बिन रह नही पाते ,
पर तुमारी तरफ से तो मेरे खतों के जबाब भी नही आते|
In English
2 टिप्पणियां:
Vishawjeet Saini
सोमवार, अगस्त 10, 2015 7:23:00 pm
Dhanywaad Sangeeta ji..
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Vishawjeet Saini
सोमवार, अगस्त 10, 2015 7:24:00 pm
Thanks dev
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Dhanywaad Sangeeta ji..
जवाब देंहटाएंThanks dev
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